अद्भुत स्थापत्य और आस्था का संगम – जोधपुर में अक्षरधाम मंदिर का लोकार्पण
जोधपुर में देश का दूसरा सबसे बड़ा अक्षरधाम मंदिर तैयार हुआ। सात साल की मेहनत, बिना लोहे-स्टील के निर्माण, 281 स्तंभ, 3 हजार क्षमता वाला सभा मंडप और ऑटोमैटिक रसोई इसकी खासियत।

जोधपुर। जोधपुर में भव्य धार्मिक धरोहर का नया अध्याय जुड़ गया है। सात साल की अथक मेहनत के बाद तैयार हुआ देश का दूसरा सबसे बड़ा अक्षरधाम मंदिर अब श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुल गया है। यह मंदिर कई मायनों में अनूठा है, क्योंकि इसमें कहीं भी लोहे या स्टील का उपयोग नहीं हुआ है। पूरा ढांचा जोधपुर के छीतर पत्थरों से बना है, जिन्हें इंटरलॉक तकनीक से जोड़ा गया है। इन पत्थरों पर छह इंच तक की गहरी नक्काशी कारीगरों की अद्भुत कला को दर्शाती है।
केन्द्रीय मंत्री लोकार्पण में
लोकार्पण समारोह में केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की मौजूदगी ने इस अवसर को और खास बना दिया।
स्थापत्य का अच्छा समागम
करीब 40 बीघा क्षेत्र में फैला यह परिसर हर कोने से भव्यता बिखेरता है। मुख्य मंदिर 13 फीट ऊंचे मंच पर स्थित है, जिसकी लंबाई 181 फीट और ऊंचाई 91 फीट है। खास बात यह है कि यहां का वातावरण 45 डिग्री तापमान में भी ठंडा महसूस होता है।
विशिष्ट वास्तुकला
मंदिर की वास्तुकला सिरोही घाट शैली पर आधारित है। कुल 281 स्तंभ इसकी शोभा बढ़ाते हैं, जो नीचे से चौड़े और ऊपर से संकरे होते हुए गोलाकार बनते हैं। इसका डिजाइन चौकोर या आयताकार न होकर आठ से नौ कोणों वाला है, जो इसे बाकी अक्षरधाम मंदिरों से अलग पहचान देता है।
यहां बना विशाल सभा मंडप भी किसी चमत्कार से कम नहीं। 140x125 फीट के हॉल में एक साथ तीन हजार श्रद्धालु बिना किसी पिलर की बाधा के सत्संग और प्रार्थना कर सकते हैं। वहीं 100x30 फीट का विशाल मंच संतों के लिए तैयार किया गया है। आधुनिक सुविधाओं में 14 एसी और 12 हेलिकॉप्टर फैन भी लगाए गए हैं।
श्रद्धालुओं की सेवा के लिए ऑटोमैटिक अन्नपूर्णा रसोई बनाई गई है, जहां एक साथ 20 हजार लोगों का भोजन तैयार हो सकता है। 500 लोग एक समय में प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे। किचन ब्लॉक, सर्विस बिल्डिंग और अतिथि गृह भी पूरे हो चुके हैं।
जोधपुर का यह अक्षरधाम मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र बनेगा बल्कि स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण भी साबित होगा।