बाड़मेर के सरकारी अस्पताल में मासूम जसोदा की संदिग्ध मौत: इंजेक्शन के बाद बिगड़ी तबीयत
बाड़मेर के मिठड़ाऊ पीएचसी में 4 वर्षीय जसोदा की इलाज के दौरान संदिग्ध मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर रमेश पुंजानी और नर्स शांति देनी द्वारा दिए गए इंजेक्शन व दवाइयों के बाद बच्ची की हालत बिगड़ी और वह बेहोश होकर मृत पाई गई।

राजस्थान के बाड़मेर जिले के बिजराड़ थाना क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना ने चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मात्र 4 वर्षीय मासूम बच्ची जसोदा की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) मिठड़ाऊ में इलाज के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ द्वारा दिए गए इंजेक्शन व दवाइयों के बाद बच्ची की हालत अचानक बिगड़ गई, जिससे वह बेहोश हो गई और घर पहुंचते ही उसकी सांसें थम गईं। घटना के बाद परिजन शनिवार को चौहटन उपजिला अस्पताल की मॉर्च्यूरी के बाहर धरने पर बैठ गए हैं, न्याय की मांग कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने मेडिकल बोर्ड का गठन कर पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जबकि डॉक्टर ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बच्ची की निमोनिया से संक्रमित होने और परिजनों की लापरवाही का हवाला दिया है।
बच्ची जसोदा के पिता अरविंद कुमार ने बताया कि उनकी बेटी को मंगलवार (30 सितंबर) से तेज बुखार आ रहा था। परिवार ने गुरुवार (2 अक्टूबर) को उसे नजदीकी मिठड़ाऊ पीएचसी में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने कुछ दवाइयां दीं। लेकिन अगले 24 घंटों में बच्ची की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। शुक्रवार (3 अक्टूबर) दोपहर करीब 1 बजे, जब जसोदा की मां रूखी देवी उसे दोबारा पीएचसी लेकर पहुंचीं, तो डॉक्टर रमेश पुंजानी और नर्सिंग कर्मी शांति देनी ने इलाज शुरू किया।परिजनों के मुताबिक, डॉक्टर ने बच्ची को इंजेक्शन दिया और दवाइयां प्रशासित कीं। इसके महज कुछ मिनटों बाद ही जसोदा की तबीयत बिगड़ने लगी। वह बेहोश हो गई और सांस लेने में तकलीफ होने लगी। आरोप है कि स्टाफ ने बच्ची को बेहोशी की स्थिति में ही घर भेज दिया, बिना किसी उचित प्रबंधन के। जब रूखी देवी बच्ची को घर लेकर पहुंचीं, तो जसोदा पूरी तरह बेसुध हो चुकी थी। घबराए परिवार ने उसे तुरंत दोबारा पीएचसी ले जाया, लेकिन वहां पहुंचते ही डॉक्टरों ने मौत की पुष्टि कर दी।
शाम करीब 7 बजे तक परिजन बच्ची के शव के साथ ही पीएचसी में डटे रहे। सूचना मिलने पर बिजराड़ थानाधिकारी मगाराम मौके पर पहुंचे और शव को चौहटन उपजिला अस्पताल की मॉर्च्यूरी में शिफ्ट करवाया। थानाधिकारी ने बताया, "परिजनों ने डॉक्टर व नर्स पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया है। मेडिकल बोर्ड से पोस्टमॉर्टम करवाया जा रहा है। रिपोर्ट आने पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
डॉक्टर के अनुसार, उन्होंने बच्ची को 'नीमूलाइजर' के साथ एंटीबायोटिक इंजेक्शन (सिफ्टरिक जोन 50 एमजी) दिया था। "बच्ची के साथ केवल मां ही थी, कोई अन्य परिजन नहीं। मैंने खुद बाहर से टैक्सी मंगवाई और उन्हें चौहटन भेजने के लिए कहा। लेकिन वे दोपहर करीब 2 बजे यहां से चले गए और चौहटन की बजाय सीधे घर चले गए। शाम 6 बजे वे दोबारा लाए और इंजेक्शन का रिएक्शन बताकर आरोप लगाए। किसी भी दवा या इंजेक्शन का रिएक्शन तुरंत होता है, चार घंटे बाद नहीं। पोस्टमॉर्टम में सच्चाई सामने आ जाएगी।"
परिजनों का आक्रोश: न्याय तक धरना जारी
घटना के बाद अरविंद कुमार और उनके परिवार वाले सदमे में हैं। शनिवार सुबह से ही वे चौहटन अस्पताल की मॉर्च्यूरी के बाहर धरने पर बैठे हैं। पिता अरविंद ने रोते हुए कहा, "हमारी मासूम बेटी को बचाने की बजाय डॉक्टरों ने उसकी जान ले ली। इंजेक्शन देने के बाद ही उसकी हालत खराब हुई। हम न्याय चाहते हैं, दोषी को सजा मिले।" परिवार ने मांग की है कि डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज हो ।