जयपुर के SMS हॉस्पिटल में भीषण अग्निकांड: 8 मरीजों की मौत, शॉर्ट सर्किट से लगी आग, स्टाफ पर लापरवाही के आरोप

जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू में रविवार रात 11:20 बजे शॉर्ट सर्किट से लगी आग में 8 मरीजों की मौत हो गई, जिनमें 3 महिलाएं शामिल हैं। आग स्टोर रूम में लगी, जहां पेपर और आईसीयू उपकरण रखे थे।

Oct 6, 2025 - 11:45
जयपुर के SMS हॉस्पिटल में भीषण अग्निकांड: 8 मरीजों की मौत, शॉर्ट सर्किट से लगी आग, स्टाफ पर लापरवाही के आरोप
Photo ai से लिया गया है..!

जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू वार्ड में रविवार देर रात 11:20 बजे भीषण आग लगने से हड़कंप मच गया। इस हादसे में 8 मरीजों की दर्दनाक मौत हो गई, जिनमें 3 महिलाएं शामिल हैं। आग की चपेट में आए 11 मरीजों में से केवल 3 को सुरक्षित निकाला जा सका। पास के दूसरे आईसीयू में भर्ती 13 मरीजों को भी बाहर निकाला गया। प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को आग का कारण माना जा रहा है। इस घटना ने हॉस्पिटल प्रशासन की तैयारियों और सुरक्षा इंतजामों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

आग का कारण और स्थिति

ट्रॉमा सेंटर के नोडल ऑफिसर और सीनियर डॉक्टर के अनुसार, आग न्यूरो आईसीयू के स्टोर रूम में लगी, जहां पेपर, आईसीयू उपकरण और ब्लड सैंपलर ट्यूब रखे थे। आशंका है कि शॉर्ट सर्किट के कारण चिंगारी भड़की, जो तेजी से पूरे वार्ड में फैल गई। आग के साथ ही घना धुआं वार्ड में भर गया, जिससे मरीजों और स्टाफ को सांस लेने में दिक्कत हुई। फायर डिपार्टमेंट के कर्मचारी अवधेश पांडे ने बताया कि जब उनकी टीम मौके पर पहुंची, तो पूरा वार्ड धुएं से भरा था। अंदर जाने का रास्ता न होने के कारण खिड़कियों के शीशे तोड़कर पानी की बौछार डाली गई। आग पर काबू पाने में करीब डेढ़ घंटे लगे।

मरीजों को सड़क पर शिफ्ट किया गया

हादसे के दौरान सभी मरीजों को बेड समेत बाहर सड़क पर शिफ्ट किया गया। हालात इतने गंभीर थे कि मरीजों को तत्काल दूसरी जगह ले जाना संभव नहीं था। हादसे के दो घंटे बाद कुछ मरीजों को ग्राउंड फ्लोर पर स्थानांतरित किया गया, लेकिन परिजनों को उनके हालत की जानकारी नहीं दी गई।

परिजनों का गुस्सा: स्टाफ पर लापरवाही का आरोप

हादसे में अपने परिजनों को खोने वालों और घायलों के परिवारों में गुस्सा है। भरतपुर के शेरू ने बताया कि आग लगने से 20 मिनट पहले ही धुआं निकलना शुरू हो गया था। उन्होंने स्टाफ को इसकी सूचना दी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। रात 11:20 बजे तक धुआं इतना बढ़ गया कि प्लास्टिक की ट्यूब पिघलने लगी। शेरू ने बताया कि वार्ड बॉय मौके से भाग गए, जिसके बाद परिजनों ने खुद अपने मरीजों को बाहर निकाला। शेरू ने कहा, "हमने मुश्किल से अपने पेशेंट को बचाया, लेकिन अब तक उनकी स्थिति के बारे में कुछ नहीं बताया जा रहा। हमें उनसे मिलने भी नहीं दिया जा रहा।" 

नेता प्रतिपक्ष का गंभीर आरोप: "यह हादसा नहीं, हत्या है

"नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस घटना को "हादसा नहीं, हत्या" करार दिया। सोमवार सुबह वे SMS हॉस्पिटल पहुंचे और परिजनों व प्रत्यक्षदर्शियों से बात की। जूली ने कहा कि स्टाफ ने मरीजों को छोड़कर भागने का रास्ता चुना, जबकि उन्हें आग रोकने के उपाय करने चाहिए थे। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हम हमेशा ऐसे हादसों का इंतजार करते हैं? जूली ने हॉस्पिटल प्रशासन की लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की। 

डिप्टी सीएम का दुख, कार्यक्रम रद्द

डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने इस हादसे पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि मरीजों की मौत का समाचार अत्यंत पीड़ादायक है। हादसे की खबर मिलते ही उन्होंने चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ के अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए। उन्होंने दिवंगत आत्माओं की शांति और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

जांच के लिए कमेटी गठित

इस अग्निकांड की जांच के लिए राज्य सरकार ने 6 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (FSL) की टीम ने मौके पर पहुंचकर सबूत इकट्ठे किए। कमेटी को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। 

सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

इस हादसे ने SMS हॉस्पिटल जैसे बड़े सरकारी अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए हैं। परिजनों और नेताओं ने आरोप लगाया कि अगर समय रहते धुएं की सूचना पर कार्रवाई की गई होती, तो इतना बड़ा हादसा टाला जा सकता था। स्टाफ की लापरवाही और अग्निशमन उपकरणों की कमी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया।