सरकारी कफ सिरप मामले में अधिकारी की भूमिका पर उठे गंभीर सवाल

राजस्थान में सरकारी कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद विभागीय अफसरों द्वारा नकली दवाओं के आंकड़ों में हेरफेर कर फार्मा कंपनियों को बचाने का खुलासा।

Oct 3, 2025 - 14:08
सरकारी कफ सिरप मामले में अधिकारी की भूमिका पर उठे गंभीर सवाल
इमेज सोशल मीडिया से लिया गया है।

जयपुर। राजस्थान में सरकारी कफ सिरप को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। जानकारी के अनुसार, प्रदेश में सरकारी दवा सप्लाई में गड़बड़ी हुई है और कफ सिरप पीने से दो बच्चों की मौत तक हो चुकी है। जिस विभाग को कार्रवाई करनी थी, उसी के अफसर अब फार्मा कंपनियों को बचाने में लगे हैं। इस खुलासे ने पूरे राजस्थान को चिंता में डाल दिया है।

नकली दवा की परिभाषा बदली गई

फूड सेफ्टी एंड ड्रग कंट्रोलर विभाग का काम सरकारी और निजी सभी दवाओं पर नजर रखना और जांच करना होता है। नियम के अनुसार, अगर किसी दवा में गड़बड़ी मिलती है तो ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट, 1940 के तहत सख्त सजा दी जाती है, जिसमें 2 साल से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है।

लेकिन जांच में सामने आया कि ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा ने नकली दवा की परिभाषा ही बदल दी। उन्होंने दवाओं से जुड़े आंकड़ों में हेरफेर किया और लोकसभा, नीति आयोग और विधानसभा को अलग-अलग संख्या बताई।

लोकसभा में नकली दवाओं की संख्या 55 बताई गई।

नीति आयोग को भेजी जानकारी में यह संख्या 60 कर दी गई।

लेकिन विधानसभा को सिर्फ 44 नकली दवाओं की जानकारी दी गई।

इस तरह अलग-अलग जगह आंकड़े बदलकर भेजे गए ताकि फार्मा कंपनियों को फायदा हो सके।

15 कंपनियों को बचाने का खेल

जांच में साफ हुआ कि यह पूरा खेल 14-15 फार्मा कंपनियों को बचाने के लिए रचा गया था। अधिकारी के स्तर पर किए गए इस फेरबदल का मकसद कंपनियों को कानूनी कार्रवाई से बचाना था।

विभागीय जांच के दौरान यह गड़बड़ी सामने आई, वरना विधानसभा तक गलत आंकड़े पहुंच जाते। अधिकारियों का मानना है कि यह सारा हेरफेर जानबूझकर किया गया ताकि कंपनियों पर शिकंजा न कसे।

फिलहाल इस मामले में विभागीय स्तर पर कार्रवाई शुरू हो गई है। ड्रग कमिश्नर का कहना है कि मामला गंभीर है और जांच पूरी होने के बाद सख्त कदम उठाए जाएंगे।

Prahlad Ratnoo As a passionate reader, I believe every story deserves to be heard. I strive to bring heartfelt stories to life.