ओरण-गोचर को बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमियों की अनोखी पहल,भगवान को ज्ञापन देने पहुंचे पर्यावरण प्रेमी
जैसलमेर में ओरण-गोचर और तालाबों के संरक्षण की मांग को लेकर ओरण प्रेमी सोनार दुर्ग स्थित प्राचीन लक्ष्मीनाथजी मंदिर पहुंचे। यहां भगवान को ज्ञापन सौंपकर गुहार लगाई कि अतिक्रमण और उपेक्षा से इन प्राकृतिक धरोहरों को बचाया जाए। श्रद्धालुओं ने कहा कि ओरण और गोचर केवल धार्मिक आस्था से नहीं, बल्कि पशुधन के चारे, जल स्रोत और पर्यावरण संतुलन से भी जुड़े हैं। इनके नष्ट होने पर ग्रामीण जीवन संकट में पड़ जाएगा।

जैसलमेर। मरुस्थल में जीवन के लिए आधार माने जाने वाले ओरण, गोचर और तालाबों के संरक्षण की मांग को लेकर रविवार को बड़ी पहल हुई। ओरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता सोनार दुर्ग स्थित प्राचीन लक्ष्मीनाथजी मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने भगवान के चरणों में ज्ञापन अर्पित कर विनती की कि इन प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा के लिए समाज और प्रशासन दोनों को जागरूक किया जाए।
ज्ञापन सौंपने वालों का कहना था कि सदियों से ओरण और गोचर ग्रामीणों के जीवन-यापन की रीढ़ रहे हैं। यह केवल धार्मिक आस्था से जुड़े स्थान नहीं हैं, बल्कि इन्हीं से पशुधन को चारा और गांवों को जल का सहारा मिलता है। तालाब और ओरण आज भी मरुभूमि की पर्यावरणीय और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
पर्यावरण प्रेमियों ने दी चेतावनी
ओरण प्रेमियों ने चेतावनी दी कि यदि इन भूमियों और तालाबों पर अतिक्रमण या अवैध कब्जे होते रहे तो आने वाले समय में पशुधन और ग्रामीण जीवन गंभीर संकट में आ जाएगा। इसके चलते स्थानीय समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि इन धरोहरों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि जैसलमेर का इतिहास और संस्कृति ओरण-गोचर से गहराई से जुड़ी है। इन्हें बचाना केवल परंपरा को जीवित रखना नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित भविष्य सौंपना भी है। मंदिर में आयोजित इस अनोखी पहल के दौरान श्रद्धालुओं और ग्रामीणों ने भी एकजुट होकर संकल्प लिया कि वे अपने स्तर पर संरक्षण अभियान को आगे बढ़ाएंगे।
मंदिर में भगवान से की प्रार्थना
अंत में मंदिर में सामूहिक प्रार्थना की गई और भगवान लक्ष्मीनाथजी से निवेदन किया गया कि ओरण और गोचर भूमि पर संकट दूर हो तथा इनसे जुड़ी परंपरा और जीवन-रेखा हमेशा कायम रहे।