मासूमों की जान लेने वाली 'मुफ्त दवा': डिबार कंपनी का सिरप फिर घातक, RMSCL की लापरवाही पर सवाल!

सीकर में मुफ्त दवा योजना के तहत मिलने वाली खांसी की सिरप (डेक्सट्रोमेथॉरफेन एचबीआर सिरप) पीने से 5 साल के बच्चे की मौत और कई लोगों की तबीयत बिगड़ने का मामला सामने आया

Oct 1, 2025 - 15:36
मासूमों की जान लेने वाली 'मुफ्त दवा': डिबार कंपनी का सिरप फिर घातक, RMSCL की लापरवाही पर सवाल!
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राजस्थान की मुफ्त दवा योजना में मिलने वाली खांसी की सिरप ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में क्वालिटी कंट्रोल की कितनी बड़ी खाई है। सीकर जिले के अजीतगढ़ क्षेत्र में मात्र 5 साल के मासूम नीतियांश की दर्दनाक मौत ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। सरकारी अस्पतालों को दवाएं सप्लाई करने वाली जयपुर की केयसंस फार्मा लिमिटेड (KaySens Pharma Limited) का एक अन्य कफ सिरप का सैंपल करीब 6 महीने पहले फेल हो चुका था। इसके बावजूद राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (RMSCL) ने 21 फरवरी 2025 को कंपनी को सिर्फ एक साल के लिए डिबार किया, लेकिन उसी कंपनी की अन्य दवाओं की सप्लाई को बिना किसी कड़ी जांच के जारी रखा।  यह लापरवाही आज पूरे राज्य में हड़कंप मचा रही है, जहां अब तक दो बच्चों की मौत और कई की हालत गंभीर बनी हुई है।

घटना का क्रम: एक सिरप, कई जिंदगियां दांव पर

सबसे पहले सीकर के श्रीमाधोपुर उपखंड के खोरी ब्राह्मणान गांव में 29 सितंबर की रात को मासूम नीतियांश को खांसी की शिकायत हुई। सरकारी अस्पताल से मिले डेक्सट्रोमेथॉरफेन एचबीआर सिरप आईपी 13.5 एमजी/5एमएल (बैच नंबर 440) की एक खुराक रात करीब 11:30 बजे पिलाई गई। परिवार के मुताबिक, रात भर सब सामान्य रहा, लेकिन तड़के 3:30 बजे बच्चे को हिचकी आने लगी। सुबह जब नीतियांश नहीं उठा, तो परिजन घबराहट में उसे सीकर के जिला अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है, लेकिन परिवार का आरोप है कि सिरप ही मौत का कारण बना।  

एक दिन बाद ही अजीतगढ़ क्षेत्र में दो अन्य बच्चों और एक डॉक्टर की तबीयत बिगड़ गई। सिरप पिलाने के तुरंत बाद उल्टी, चक्कर, बेहोशी और बेचैनी के लक्षण दिखे। तीनों को निजी अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। इसी बीच भरतपुर जिले में एक बच्चे को वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ा, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। जयपुर के मानसरोवर में भी 27 सितंबर को सांगानेर डिस्पेंसरी से मिली इसी सिरप की एक खुराक के बाद दो साल की बच्ची को आईसीयू में डालना पड़ा। इन घटनाओं के बाद चिकित्सा विभाग ने फौरन कार्रवाई की। ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया, "हमने बैच नंबर केएल 25/144, केएल 25/147 और केएल 25/148 के तीन सैंपल जांच के लिए सरकारी लैब भेजे हैं। दो-तीन दिनों में रिपोर्ट आने के बाद ही ठोस कदम उठाए जाएंगे। फिलहाल पूरे राज्य के सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और औषधि भंडारों में इस सिरप की सप्लाई पर पूर्ण रोक लगा दी गई है।"

केयसंस फार्मा लिमिटेड, जो जयपुर के सरना डूंगर इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित है, इसका इतिहास विवादों से भरा पड़ा है। कंपनी के पास लिक्विड सेक्शन, कैप्सूल और टेबलेट बनाने का वैध लाइसेंस है, लेकिन गुणवत्ता नियंत्रण में बार-बार चूक साबित हो चुकी है। करीब 6 महीने पहले (अप्रैल 2025 के आसपास) ड्रग विभाग ने कंपनी के कफ सिरप बैच नंबर केएल 22/357 का सैंपल लिया था। सरकारी लैब की रिपोर्ट ने खुलासा किया कि सिरप में निर्धारित सामग्री—कोलेरोफेनामाइन मेलेट आईपी 3 एमजी, अमोनियम क्लोराइड 130 एमजी, सोडियम सिट्रेट 65 एमजी और मेंथॉल 0.5 एमजी—में मेंथॉल की मात्रा अमानक (non-standard) पाई गई। यह ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 और नियम 1945 के तहत 'नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी' (NSQ) घोषित हो गया।निविदा शर्तों के मुताबिक, RMSCL ने 21 फरवरी 2025 को कंपनी को एक साल के लिए डिबार कर दिया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि डिबारमेंट के बावजूद कंपनी की अन्य दवाओं—जिसमें इसी तरह के लिक्विड सिरप शामिल हैं—की सप्लाई को बिना किसी अतिरिक्त जांच के जारी रखा गया। 

RMSCL की क्वालिटी जांच पर सवाल: सॉल्ट में गड़बड़ी या कुछ और?

डॉक्टरों का मानना है कि यह पहली बार है जब सिरप से सीधे मौत का मामला सामने आया हो। पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. शिवानी स्वामी ने कहा, "डेक्सट्रोमेथॉरफेन जैसी दवा बच्चों में साइड इफेक्ट्स पैदा कर सकती है, खासकर अगर सॉल्ट (रासायनिक संरचना) में गड़बड़ी हो। बिना डॉक्टर की सलाह के ओवरडोज घातक साबित हो सकता है। जांच रिपोर्ट ही असली वजह बताएगी।" विशेषज्ञों के अनुसार, सिरप में अगर मेंथॉल या अन्य तत्व अमानक हों, तो यह किडनी फेलियर या न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें पैदा कर सकता है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में भी इसी सिरप से 6 बच्चों की मौत की खबरें आई हैं, जो चिंता बढ़ा रही हैं।