शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने वीरातरा माता मंदिर के विकास के लिए उठाए कदम
शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने वीरातरा माता मंदिर के विकास के लिए मुख्यमंत्री को तीन पत्र लिखकर पैनोरमा, रोपवे और सड़क चौड़ाईकरण की मांग की।

बाड़मेर, 15 सितंबर 2025: राजस्थान के शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने बाड़मेर के प्रसिद्ध वीरातरा माता मंदिर के विकास के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और उपमुख्यमंत्री व पर्यटन मंत्री दीयाकुमारी को तीन महत्वपूर्ण पत्र लिखकर मंदिर के विकास कार्यों को गति देने की मांग की है। भाटी ने पत्रों में मंदिर की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता का उल्लेख करते हुए श्रद्धालुओं की सुविधा और पर्यटन विकास के लिए ठोस प्रस्ताव रखे।
1. भव्य पैनोरमा निर्माण की मांग
पहले पत्र में भाटी ने राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष को संबोधित करते हुए वीरातरा माता मंदिर में भव्य पैनोरमा निर्माण का प्रस्ताव दिया। उन्होंने बताया कि यह मंदिर देशभर के लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है और इसकी मूर्ति का इतिहास 2000 वर्ष पुराना है, जो हिंगलाज माताजी की आराधना से जुड़ा है। पैनोरमा निर्माण से श्रद्धालुओं को मंदिर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जानकारी मिलेगी, साथ ही पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
2. रोपवे सुविधा का प्रस्ताव
दूसरे पत्र में उपमुख्यमंत्री दीयाकुमारी को लिखते हुए भाटी ने मंदिर के पहाड़ी स्थल तक रोपवे निर्माण की मांग की। उन्होंने कहा कि मंदिर का भौगोलिक स्वरूप वृद्ध, महिलाओं और दिव्यांगों के लिए दर्शन को कठिन बनाता है। रोपवे सुविधा से न केवल श्रद्धालुओं को सहूलियत होगी, बल्कि यह मंदिर पर्यटन के क्षेत्र में नई पहचान बनाएगा, जिससे क्षेत्रीय विकास को गति मिलेगी।
3. सड़क चौड़ाईकरण और पैदल पथ की आवश्यकता
तीसरे पत्र में भाटी ने वीरातरा फांटा से मंदिर तक 4.5 किमी लंबे मार्ग के चौड़ाईकरण, डिवाइडर और पैदल पथ निर्माण का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि नवरात्रि और सावन जैसे अवसरों पर आयोजित होने वाले मेले में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं, जिससे मार्ग पर भीड़ और दुर्घटना का खतरा रहता है। सड़क चौड़ाईकरण और पैदल पथ से यातायात व्यवस्था सुधरेगी और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
क्षेत्रीय विकास और सांस्कृतिक संरक्षण
भाटी ने अपने पत्रों में जोर दिया कि ये परियोजनाएं न केवल श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ाएंगी, बल्कि बाड़मेर के पर्यटन, रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देंगी। यह कदम राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और लाखों श्रद्धालुओं की मांग को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।