जवाई बांध का जलस्तर बढ़ा, किसी भी समय खुल सकते हैं गेट – प्रशासन ने जारी किया अलर्ट
राजस्थान में लगातार हो रही भारी बारिश ने नदी-नालों और बांधों का जलस्तर बढ़ा दिया है। इन्हीं में से एक प्रमुख जवाई बांध भी अपनी अधिकतम भराव क्षमता के करीब पहुंच गया है।

पाली : राजस्थान में लगातार हो रही भारी बारिश ने नदी-नालों और बांधों का जलस्तर बढ़ा दिया है। इन्हीं में से एक प्रमुख जवाई बांध भी अपनी अधिकतम भराव क्षमता के करीब पहुंच गया है। शुक्रवार शाम 5 बजे तक जवाई बांध का गेज 58.85 मीटर दर्ज किया गया, जबकि इसकी अधिकतम गेज क्षमता 61.25 मीटर है। वहीं बांध में जलभराव की मात्रा 6701.60 मिलियन घन फीट तक पहुंच गई है, जो कि अधिकतम 7327.50 मिलियन घन फीट से केवल कुछ ही दूरी पर है।
किसी भी समय खुल सकते हैं जवाई बांध के गेट
लगातार बारिश और पहाड़ी क्षेत्रों से हो रही पानी की तेज आवक के कारण जवाई बांध में जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। बांध प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि हालात को देखते हुए बांध के गेट किसी भी समय खोले जा सकते हैं। ऐसे में लोगों को पहले से सतर्क रहना आवश्यक है।
नदी किनारे जाने से बचें
अधिशाषी अभियंता राज भंवरायत ने बताया कि जवाई नदी के डाउनस्ट्रीम क्षेत्र में रहने वाले लोग और वहां गतिविधियां करने वाले आमजन सावधान रहें। गेट खुलने पर नदी का जलस्तर अचानक तेजी से बढ़ सकता है, जिससे खतरा बढ़ सकता है।
प्रशासन ने जारी की चेतावनी
प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि वे नदी किनारे या आसपास के क्षेत्रों में न जाएं और बच्चों को भी नदी के पास जाने से रोकें। बांध से गेट खोलने पर अचानक तेज बहाव से जान-माल की हानि का खतरा बढ़ सकता है। सुरक्षा की दृष्टि से लोगों को समय रहते अलर्ट रहना चाहिए।
मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट
मौसम विभाग ने भी अगले कुछ दिनों तक भारी से मध्यम बारिश की संभावना जताई है। यदि बारिश का क्रम जारी रहता है तो बांधों का जलस्तर और बढ़ सकता है। ऐसे में लोगों को प्रशासन और मौसम विभाग द्वारा जारी की जाने वाली सूचनाओं और दिशानिर्देशों का पालन करना बेहद जरूरी है।
जवाई बांध का महत्व
जवाई बांध पाली जिले का सबसे बड़ा बांध है और इसका पानी आसपास के क्षेत्रों में सिंचाई और पेयजल के लिए जीवनरेखा माना जाता है। मानसून के दौरान यह बांध न सिर्फ किसानों के लिए राहत लाता है बल्कि जल संरक्षण और भूजल स्तर बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, इसकी अधिकतम भराव क्षमता पूरी होने पर डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात भी पैदा हो सकते हैं।