कानपुर में बारिश ने बढ़ाई रामलीला की मुश्किलें: मेघनाथ का पुतला भीगा, दहन में चुनौती
कानपुर में मंगलवार सुबह से लगातार 6 घंटे की बारिश ने रामलीला परेड की तैयारियों को प्रभावित किया। रामलीला मैदान में मेघनाथ, रावण और कुंभकरण के पुतले बारिश में भीग गए। मेघनाथ का पुतला गलने लगा, जिससे रात के दहन में मुश्किलें बढ़ीं।

कानपुर, 30 सितंबर 2025: मंगलवार सुबह से कानपुर में शुरू हुई बारिश ने शहर की सबसे पुरानी रामलीला परेड की तैयारियों पर पानी फेर दिया है। रामलीला मैदान में बनाए गए मेघनाथ, रावण और कुंभकरण के पुतले लगातार 6 घंटे से जारी बारिश में भीगने लगे हैं। मंगलवार रात को मेघनाथ के पुतले का दहन होना है, लेकिन बारिश ने आयोजकों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।
मेघनाथ का पुतला बारिश में गलने लगा
मेघनाथ का पुतला पूरी तरह बारिश में भीग गया है। आयोजकों ने क्रेन की मदद से इसे खड़ा तो कर लिया, लेकिन कागज से बने पुतले का हिस्सा पानी की वजह से गलने लगा है। पुतला बनाने वाले कारीगर सलीम ने बताया, "लगातार बारिश की वजह से पुतला खराब हो रहा है। अगर बारिश एक-दो घंटे और जारी रही, तो इसे जलाना मुश्किल हो जाएगा।" सलीम ने आगे कहा कि ऐसी स्थिति में रामलीला शुरू होने के बाद मेघनाथ के पुतले को जल्दी से जलाना होगा, ताकि परंपरा न टूटे।
रावण और कुंभकरण के पुतलों को बचाने की कोशिश
रामलीला मैदान में रावण और कुंभकरण के पुतले भी तैयार किए जा रहे हैं। आयोजकों ने इन्हें बारिश से बचाने के लिए पॉलीथिन और तिरपाल से ढक दिया है। रावण और कुंभकरण के सिर को बनाकर तिरपाल के नीचे सुरक्षित रखा गया है। सलीम ने बताया, "हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि पुतलों को और नुकसान न हो। इन्हें मजबूती से बनाया गया है, लेकिन लगातार बारिश चुनौती बन रही है।
"आयोजकों के सामने दोहरी मुश्किल
कानपुर की यह रामलीला परेड शहर की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, और हर साल हजारों लोग इसे देखने पहुंचते हैं। लेकिन इस बार बारिश ने आयोजकों की तैयारियों को झटका दिया है। एक तरफ पुतलों को बचाने की चुनौती है, तो दूसरी तरफ दहन की परंपरा को समय पर पूरा करने का दबाव है। आयोजकों का कहना है कि अगर बारिश रुक गई, तो पुतले को जलाने में आसानी होगी, लेकिन मौसम की अनिश्चितता ने सभी को चिंता में डाल रखा है।
मौसम ने बदली रणनीति
मौसम विभाग के अनुसार, कानपुर में अगले कुछ घंटों तक बारिश की संभावना बनी हुई है। ऐसे में आयोजकों ने तय किया है कि अगर बारिश कम होती है, तो मेघनाथ के पुतले को जल्दी जलाया जाएगा। साथ ही, रावण और कुंभकरण के पुतलों को भी बारिश से बचाने के लिए अतिरिक्त इंतजाम किए जा रहे हैं।
शहरवासियों में उत्साह बरकरार
बारिश के बावजूद रामलीला देखने के लिए शहरवासियों का उत्साह कम नहीं हुआ है। लोग परंपरागत रूप से मेघनाथ के पुतले के दहन को देखने के लिए रामलीला मैदान पहुंच रहे हैं। आयोजकों ने भी उम्मीद जताई है कि मौसम की मार के बावजूद वे इस परंपरा को निभाने में कामयाब होंगे।