कलक्टर -SDM और तहसीलदार को कोर्ट ने माना लापरवाह, तीनों की गाड़ियां जब्त करने का आदेश
राजस्थान के डीडवाना में न्यायालय ने कलक्टर, एसडीएम और तहसीलदार की गाड़ियों को जब्त करने का आदेश दिया है। करीब 8 साल तक कोर्ट का आदेश नहीं मानने के बाद कोर्ट ने नाराजगी दिखाते हुए तीनों अधिकारियों की गाड़ियों को जब्त करने का आदेश देते हुए कहा है कि "ये सीधे तौर कर कोर्ट की अवमानना है। लापरवाह अधिकारियों को कोर्ट के आदेश ना मानने की खुली छूट नहीं दी जा सकती।

कलक्टर -SDM और तहसीलदार को कोर्ट ने माना लापरवाह, तीनों की गाड़ियां जब्त करने का आदेश
राजस्थान के डीडवाना में न्यायालय ने कलक्टर, एसडीएम और तहसीलदार की गाड़ियों को जब्त करने का आदेश दिया है। करीब 8 साल तक कोर्ट का आदेश नहीं मानने के बाद कोर्ट ने नाराजगी दिखाते हुए तीनों अधिकारियों की गाड़ियों को जब्त करने का आदेश देते हुए कहा है कि "ये सीधे तौर कर कोर्ट की अवमानना है। लापरवाह अधिकारियों को कोर्ट के आदेश ना मानने की खुली छूट नहीं दी जा सकती।
दरसअल, पूरा मामला एक वक्फ बोर्ड कमेटी से जुड़ा है। कोर्ट ने अधिकारियों को एक जमीन को राजस्व रिकॉर्ड के दर्ज करने का आदेश दिया था। लेकिन, लगातार 8 साल अधिकारी कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर रहे थे। ऐसे में अब अधिकारियों की लापरवाही से तंग आकर सख्त कदम उठाया है। जिसे प्रदेश भर में मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है।
अधिवक्ता हाकम अली के मुताबिक वक्फ बोर्ड कमेटी डीडवाना बनाम राज्य सरकार का प्रकरण था। साल 2003 में एक कब्रिस्तान की भूमि को लेकर एक सिविल वाद दायर करवाया गया था। इस मामले में राजस्थान वक्फ न्यायाधिकरण ने 21 दिसंबर 2015 को बड़ा फैसला सुनाते हुए कब्रिस्तान की जमीन को वक्फ की जमीन मानते हुए संबंधित कलक्टर, एसडीएम और तहसीलदार को संबंधित भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने का आदेश जारी किया था।
कोर्ट ने अधिकारियों को माना लापरवाह
अपर जिला एवं सेशन जज राजेश कुमार गजरा ने कलक्टर, एसडीएम और तहसीलदार तीनों को लापरवाह मानते हुए तीनों की गाड़ियां जब्त करने का आदेश दिया हैं कोर्ट ने कहा है कि 8 साल से लंबित प्रकरण में कोर्ट द्वारा बार -बार आदेश जारी करने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारी महज औपचारिकता ही पूरी कर रहे थे। हर बार अगली तारीख लेकर आदेश को टालने की कोशिश कर रहे थे।
कोर्ट ने कहा कि "प्रशासन के इन लापरवाह अधिकारियों को कोर्ट के आदेश नहीं मानने की खुली छूट नहीं दी जा सकती।"