पेंट-शर्ट वाले जाट नेता रामेश्वर डूडी का निधन: राजस्थान कांग्रेस को अपूरणीय क्षति
राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी (62) का शुक्रवार देर रात बीकानेर में निधन हो गया। अगस्त 2023 में ब्रेन स्ट्रोक के बाद 25 महीने तक कोमा में रहने के बाद उनकी हालत बिगड़ गई थी। डूडी की पहचान किसान नेता और "पेंट-शर्ट वाले जाट नेता" के रूप में थी। उन्होंने 2004 में बीकानेर लोकसभा चुनाव में धर्मेंद्र देओल को कड़ी टक्कर दी थी।

राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी (62) का शुक्रवार देर रात 1 बजे बीकानेर में निधन हो गया। लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे डूडी पिछले 25 महीनों से कोमा में थे। उनके निधन से राजस्थान की सियासत में शोक की लहर छा गई है। आज दोपहर 1 बजे उनके बीकानेर स्थित आवास पर अंतिम दर्शन के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
25 महीनों तक कोमा में रहे डूडी
बीकानेर कांग्रेस (देहात) अध्यक्ष बिशना राम सियाग ने बताया कि अगस्त 2023 में रामेश्वर डूडी को ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। उन्हें तुरंत जयपुर के एसएमएस अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। बाद में वे दिल्ली में अपने घर पर इलाज ले रहे थे। कुछ दिन पहले उनकी तबीयत फिर बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ। डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें घर भेज दिया गया था। सियाग ने बताया कि पिछले दो दिनों में उनकी हालत और गंभीर हो गई, जिसके बाद उनका निधन हो गया।
पेंट-शर्ट वाले जाट नेता की अनूठी शैली
रामेश्वर डूडी की पहचान केवल एक किसान नेता के रूप में ही नहीं थी, बल्कि उन्हें "पेंट-शर्ट वाला जाट नेता" के नाम से भी जाना जाता था। जहां ज्यादातर जाट नेता पारंपरिक कुर्ता-धोती या कुर्ता-पायजामा में नजर आते हैं, वहीं डूडी हमेशा फिट पेंट, करीने से टक की हुई शर्ट, बेल्ट और चमड़े के जूतों में दिखते थे। उनकी यह स्टाइलिश और सौम्य छवि युवाओं और समर्थकों के बीच खासी लोकप्रिय थी।
राजनीतिक सफर: बीकानेर की सियासत का मजबूत स्तंभ
1 जुलाई 1963 को बीकानेर में जन्मे रामेश्वर डूडी ने बीकानेर के बीजेएस रामपुरिया कॉलेज से बी.कॉम की डिग्री हासिल की थी। उनके पिता जेठाराम डूडी नोखा पंचायत समिति के प्रधान रहे थे, जिससे उन्हें राजनीति का प्रारंभिक माहौल मिला। डूडी का राजनीतिक करियर शानदार रहा। उनके प्रमुख राजनीतिक पड़ाव इस प्रकार हैं:
1995-1999: नोखा से पंचायत समिति के प्रधान चुने गए।
1999-2004: बीकानेर से लोकसभा सांसद रहे। इस दौरान वे खाद्य, नागरिक आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण समिति के सदस्य भी रहे।
2004: बीकानेर लोकसभा चुनाव में बॉलीवुड अभिनेता और बीजेपी उम्मीदवार धर्मेंद्र देओल से कड़े मुकाबले में हार गए।
2013: नोखा निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए और 23 जनवरी 2013 से 13 दिसंबर 2018 तक नेता प्रतिपक्ष रहे।
2018: नोखा से बीजेपी के बिहारीलाल बिश्नोई के खिलाफ चुनाव हार गए।
पत्नी सुशीला डूडी ने संभाली नोखा की विरासत
रामेश्वर डूडी की पत्नी सुशीला डूडी ने उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें नोखा से उम्मीदवार बनाया, जहां उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को 8 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। वर्तमान में नोखा बीकानेर जिले की एकमात्र विधानसभा सीट है, जहां कांग्रेस का कब्जा है। नोखा को डूडी परिवार की परंपरागत सीट माना जाता है।
नेताओं ने जताया गहरा शोक
रामेश्वर डूडी के निधन पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्यपाल हरिभाऊ बागडे सहित कई दिग्गज नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। कांग्रेस नेताओं ने उनके निधन को पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति बताया है। अशोक गहलोत ने कहा, "रामेश्वर डूडी एक समर्पित किसान नेता और जनसेवक थे। उनकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता।"
धर्मेंद्र से रहा यादगार मुकाबला
2004 का बीकानेर लोकसभा चुनाव रामेश्वर डूडी के करियर का एक यादगार पड़ाव रहा। इस चुनाव में उन्होंने बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और बीजेपी उम्मीदवार धर्मेंद्र को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि, वे इस चुनाव में हार गए, लेकिन उनकी लोकप्रियता और जुझारूपन ने उन्हें जनता के दिलों में हमेशा जिंदा रखा।
किसानों के हक की आवाज
रामेश्वर डूडी ने हमेशा किसानों के मुद्दों को जोर-शोर से उठाया। चाहे वह संसद में हो या विधानसभा में, उनकी आवाज हमेशा किसानों और ग्रामीणों के हितों के लिए गूंजती थी। उनकी सादगी, स्पष्टवादिता और जनता से जुड़ाव ने उन्हें बीकानेर और राजस्थान की सियासत में एक अलग पहचान दी।
अंतिम विदाई आज
रामेश्वर डूडी के निधन से बीकानेर और राजस्थान की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है। आज उनके आवास पर अंतिम दर्शन के लिए लोग जुट रहे हैं। उनका अंतिम संस्कार बीकानेर में ही किया जाएगा। उनके समर्थक और स्थानीय लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में मौजूद हैं।रामेश्वर डूडी की सियासी यात्रा और उनकी स्टाइलिश छवि हमेशा राजस्थान की सियासत में याद रखी जाएगी।