बकरी बेचकर परिवार ने बेटी को खेल में आगे बढ़ाया, बेटी का अब नेशनल टीम में चयन
बाड़मेर की सुशीला ने संघर्ष से रेगिस्तान में अनजान रग्बी खेल को आगे बढ़ा देश का नाम रोशन किया।

बाड़मेर की बेटी सुशीला ने रग्बी में रचा इतिहास, एशिया कप में करेगी भारत का प्रतिनिधित्व
बाड़मेर जिले के छोटे से गांव भूरटीया की गरीब किसान परिवार की बेटी सुशीला कुमारी ने अपने संघर्ष और जुनून से बड़ी उपलब्धि हासिल की है। 12 सितंबर से चीन में होने वाले एशिया कप अंडर-18 गर्ल्स रग्बी टूर्नामेंट में वह भारतीय टीम की ओर से खेलते हुए देश का नाम रोशन करेगी।
सुशीला का सफर आसान नहीं रहा। उनके परिवार की रोज़ी-रोटी खेती और बकरियों पर टिकी है। खेल में आगे बढ़ाने के लिए परिवार ने बकरियां तक बेच दीं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। यही जुनून सुशीला को आज अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले आया है।
अब जैसे ही सोशल मीडिया पर सुशीला की कहानी सामने आई, लोग मदद के लिए आगे आने लगे। इसी कड़ी में सामाजिक कार्यकर्ता और राजीविका स्टेट ब्रांड एंबेसडर डाॅ. रूमा देवी ने ‘रूमा देवी सुगणी देवी अक्षरा छात्रवृत्ति’ के तहत सुशीला को ₹50,000 की सहायता राशि भेंट कर सम्मानित किया।
रूमा देवी ने कहा, “जब हमारी बेटियां अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश का नाम रोशन करती हैं तो यह पूरे समाज के लिए प्रेरणा बनती है। सुशीला जैसी बेटियां औरों को भी हौसला देती हैं।”
सुशीला ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाने वाले सभी लोगों का आभार जताया और सरकार से मांग की कि गांव में रग्बी स्टेडियम बनाया जाए, ताकि ग्रामीण बच्चों को बेहतर सुविधा मिल सके।
सुशीला के कोच कौशलाराम का कहना है कि ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली यह खिलाड़ी खेलों की असली पहचान है। रूमा देवी फाउंडेशन जैसी संस्थाओं की मदद से गांव की प्रतिभाएं आगे बढ़ सकती हैं।
आज बाड़मेर ही नहीं बल्कि पूरा राजस्थान इस बेटी की कामयाबी पर गर्व महसूस कर रहा है।